फेक अकाउंट के मामले में फेसबुक के आंकड़े चौंकाने वाले, करोड़ों में है संख्या

सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक देखा जाए तो अपने आप में पूरी दुनिया है. अपने एक अरब से ज्यादा खाताधारकों की संख्या के चलते आबादी के मामले में यह दुनिया का तीसरा बड़ा देश हो सकता है और इन खाताधारकों का एक बड़ा हिस्सा महीने में कम से कम एक बार फेसबुक पर लॉग इन करके उसके कुछ फीचर का उपयोग करता है. कंपनी इन्हें अपना मासिक सक्रिय उपयोक्ता (एमएयू) मानती है. लेकिन जब इन्हीं एमएयू की बात की जाती है तो कंपनी के आंकड़े कहते हैं कि इसमें नकली खातों की संख्या करीब-करीब 25 करोड़ तक हो सकती है. कंपनी ने 2018 की अपनी वार्षिक रिपोर्ट में बताया कि चौथी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर)में उसके एमएयू में 11 प्रतिशत नकली या गलत खाते हैं. जबकि 2015 में यह उसके एमएयू का पांच प्रतिशत ही था. दिंसबर 2015 में कंपनी के एमएयू की संख्या 1.59 अरब थी जो दिंसबर 2018 के अंत तक बढ़कर 2.32 अरब हो गई. कंपनी की रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे खातों की पहचान उसकी आंतरिक समीक्षा से की जाती है. कंपनी का कहना है कि नकली खाते, ऐसे खाते हैं जो किसी उपयोगकर्ता के जरिए अपने प्रमुख खाते के अलावा बनाए जाते हैं. वहीं गलत खाते, ऐसे खाते हैं जो आम तौर पर कारोबार, किसी संगठन या गैर-मानवीय इकाई के जरिए बनाए जाते हैं. इसमें फेसबुक पेज का इस्तेमाल करने वाले खाते भी शामिल हैं. गलत खातों में दूसरी श्रेणी ऐसे खातों की जो एक दम फर्जी होते हैं. यह किसी उद्देश्य के लिए बनाए जाते हैं जो फेसबुक पर स्पैम का सृजन करते हैं और उसकी सेवा के नियम-कानूनों का उल्लंघन करते हैं. कंपनी ने कहा कि दुनियाभर में उसके रोजाना सक्रिय उपयोक्ता की औसत संख्या नौ फीसदी बढ़कर 2018 में 1.52 अरब रही जो 2017 में 1.40 अरब थी. कंपनी के रोजाना सक्रिय यूजर्स की संख्या बढ़ाने में भारत, इंडोनेशिया और फिलीपींस जैसे देशों की अहम भूमिका है.

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